मन करता है
मेरा अक्सर ...
उड़ जाऊँ मैं नील गगन में
अरमानो के पंख लगा ॥
छुप जाऊँ
चंदा में जा कर
तारों के संग खेलूं खेल ॥
कभी यहाँ
तो कभी वहां मैं
उड़ता फिरता जाऊँ मैं हरदम ,
ढूंड निकालूँ
उस दूर क्षितिज को
धरती अम्बर
का जहाँ होता मेल ॥
मन करता है
मेरा अक्सर ...
उड़ जाऊँ मैं नील गगन में
अरमानो के पंख लगा ॥
बहुत सुन्दर कल्पना है |
ReplyDeleteये आकाश सबको मिले |
शुभकामनाये
kalpananon ki sundar udaan!
ReplyDeleteआपके मन की उड़ान बहुत लाजवाब है .... अच्छा लगता है अपने को भूल कर उड़ना ...
ReplyDeleteख़ूबसूरत ख़याल..!!
ReplyDeleteशुक्रिया..!
bahut sundar prastuti
ReplyDeleteख्याल तो खूबसूरत हैं..बधाई.
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