मेरा गाँव

मेरे इस ब्लॉग की सबसे बड़ी मुख्य बात मेरे लिए ये है कि header में जो फोटो है मेरे**( गाँव)** की है .... यहाँ होते हुए भी अपने घर को हर रोज देखता हूँ ..........

Tuesday 24 August 2010

उड़ जाऊँ मैं नील गगन में ....


मन करता है

मेरा अक्सर ...

उड़ जाऊँ मैं नील गगन में

अरमानो के पंख लगा ॥

छुप जाऊँ

चंदा में जा कर

तारों के संग खेलूं खेल ॥

कभी यहाँ

तो कभी वहां मैं

उड़ता फिरता जाऊँ मैं हरदम ,

ढूंड निकालूँ

उस दूर क्षितिज को

धरती अम्बर

का जहाँ होता मेल ॥

मन करता है

मेरा अक्सर ...

उड़ जाऊँ मैं नील गगन में

अरमानो के पंख लगा ॥

6 comments:

  1. बहुत सुन्दर कल्पना है |
    ये आकाश सबको मिले |
    शुभकामनाये

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  2. आपके मन की उड़ान बहुत लाजवाब है .... अच्छा लगता है अपने को भूल कर उड़ना ...

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  3. ख़ूबसूरत ख़याल..!!
    शुक्रिया..!

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  4. ख्याल तो खूबसूरत हैं..बधाई.
    _________________
    'शब्द-शिखर' पर पढ़िए भारत की प्रथम महिला बैरिस्टर के बारे में...

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