लो फिर याद आ गया
वो गुजरा जमाना
वो तेरा मुसकराना
वो नजरें झुकाना
दांतों तले
उँगलियों को दबाके
नजरें मिलाना कभी नजरें चुराना
यूँहीं दूर ही दूर से ....
हमें प्यार करना
लो फिर याद आ गया
वो गुजरा जमाना
वो तेरा .......
निगाहों -निगाहों में
वे शिकवे शिकायत
तेरा रूठना .....
मेरा तुझको मानना
लो फिर याद आ गया
वो गुजरा जमाना
वो तेरा ......
हर तरफ ढूड़ना
निगाहों का तुम्ही को
पा के तुम्हें
खुद ही को भूल जाना
डरना , झिझकना
किसी धीमी आहट पे
शरमा के आँचल से
चेहरा छुपाना
लो फिर याद आ गया
वो गुजरा जमाना
वो तेरा .....
सुन्दर प्रेमगीत. बधाई.
ReplyDeletetoo gud!
ReplyDelete...sundar rachanaa !!!
ReplyDeleteयादों की सुखद अनुभूति.
ReplyDeleteबहुत सुंदर कविता
ReplyDeleteआभार
Dharam ji,sunder kavita mohabbat bhari ,bahut badhiya ,swagat hai aapka
ReplyDeletedr.bhoopendra
jeevansandarbh.blogspot.com
प्रेम की गहन अनुभूति से...अभिभूत आपकी रचना,
ReplyDeleteबहुत सुन्दर लगी..
आपका धन्यवाद...!
अपनी जगह बनाने में कामयाब रहोगे ! शुभकामनायें !
ReplyDelete