मेरा गाँव

मेरे इस ब्लॉग की सबसे बड़ी मुख्य बात मेरे लिए ये है कि header में जो फोटो है मेरे**( गाँव)** की है .... यहाँ होते हुए भी अपने घर को हर रोज देखता हूँ ..........

Tuesday 10 August 2010

वो तेरा मुसकराना, वो नजरें झुकाना ....

लो फिर याद आ गया
वो गुजरा जमाना
वो तेरा मुसकराना
वो नजरें झुकाना

दांतों तले
उँगलियों को दबाके
नजरें मिलाना कभी नजरें चुराना
यूँहीं दूर ही दूर से ....
हमें प्यार करना
लो फिर याद आ गया
वो गुजरा जमाना
वो तेरा .......

निगाहों -निगाहों में
वे शिकवे शिकायत
तेरा रूठना .....
मेरा तुझको मानना
लो फिर याद आ गया
वो गुजरा जमाना
वो तेरा ......

हर तरफ ढूड़ना
निगाहों का तुम्ही को
पा के तुम्हें
खुद ही को भूल जाना
डरना , झिझकना
किसी धीमी आहट पे
शरमा के आँचल से
चेहरा छुपाना
लो फिर याद आ गया
वो गुजरा जमाना
वो तेरा .....

8 comments:

  1. सुन्दर प्रेमगीत. बधाई.

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  2. यादों की सुखद अनुभूति.

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  3. बहुत सुंदर कविता
    आभार

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  4. Dharam ji,sunder kavita mohabbat bhari ,bahut badhiya ,swagat hai aapka
    dr.bhoopendra
    jeevansandarbh.blogspot.com

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  5. प्रेम की गहन अनुभूति से...अभिभूत आपकी रचना,
    बहुत सुन्दर लगी..
    आपका धन्यवाद...!

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  6. अपनी जगह बनाने में कामयाब रहोगे ! शुभकामनायें !

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