मन करता है
मेरा अक्सर ...
उड़ जाऊँ मैं नील गगन में
अरमानो के पंख लगा ॥
छुप जाऊँ
चंदा में जा कर
तारों के संग खेलूं खेल ॥
कभी यहाँ
तो कभी वहां मैं
उड़ता फिरता जाऊँ मैं हरदम ,
ढूंड निकालूँ
उस दूर क्षितिज को
धरती अम्बर
का जहाँ होता मेल ॥
मन करता है
मेरा अक्सर ...
उड़ जाऊँ मैं नील गगन में
अरमानो के पंख लगा ॥