मेरा गाँव

मेरे इस ब्लॉग की सबसे बड़ी मुख्य बात मेरे लिए ये है कि header में जो फोटो है मेरे**( गाँव)** की है .... यहाँ होते हुए भी अपने घर को हर रोज देखता हूँ ..........

Wednesday 21 July 2010

शब्द किस तरह कविता बनते हैं .....

विचारों के इस
विचित्र प्रवाह में
शब्द किस तरह कविता बनते हैं
इन शब्द को देखो

जैसे माला में
पिरो के फूलों
को शब्दों को को
पिरो के पंक्तियों में
शब्दों के इस नयें अर्थ को .....
सब्द किस तरह कविता बनते हैं
इन सब्दों को देखो

मन की इस असीमित
उड़न में
शब्द किस तरह बनते और विखरते हैं....
इन शब्दों को .....
शब्द किस तरह कविता बनते हैं
इन शब्दों को देखो

सागर से मोती चुन
शब्दों के समंदर से शब्दों को
चुन के फिर इन शब्दों ........
शब्द किस तरह कविता बनते हैं
इन शब्दों को देखो ...
इन शब्दों को देखो ......
इन शब्दों को देखो ........!

1 comment:

  1. अले वाह, कित्ती प्यारी कविता....अच्छी लगी.
    ***********************

    'पाखी की दुनिया' में आपका स्वागत है.

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